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डॉ. कुमार विश्वास की नई मुक्तक, नई कविताएँ| All latest Poetry of Dr. Kumar Vishwas

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वर्तमान में हिंदी के सबसे लोकप्रिय व महंगे कवि, दुनिया भर के कविता प्रेमियो के प्यार,यारो के यार और आप सब के चहेते, शब्दों के आकाश... डॉ. कुमार विश्वास की सबसे लोकप्रिय व नई मुक्तक/शायरी... All latest Muktak of Dr. Kumar Vishwas...2017 Top 15 Best and latest Muktak of Dr. Kumar Vishwas हर एक कपड़े का टुकड़ा माँ का आँचल हो नही सकता जिसे दुनिया को पाना है वो पागल हो नही सकता जफ़ाओं की कहानी जब तलक उसमे न शामिल हो वफ़ाओ का कोई किस्सा मुकम्मल हो नही सकता||1|| सियासत में तेरा खोया या पाया हो नही सकता तेरी शर्तों पर गायब या नुमाया हो नही सकता भले साज़िश से गहरे दफ़्न मुझको कर भी दो पर मैं सृजन का बीज हूँ मिट्टी में ज़ाया हो नही सकता||2|| अधूरी इक कहानी के किसी किरदार जैसे हैं जहाँ खबरे दबावो में है उस अख़बार जैसे हैं हमें दुनिया ने तो दिल के चुनावो में जीताया है गवर्नर के यहाँ बंधक मगर सरकार जैसे हैं||3|| ग़मों को आबरू अपनी ख़ुशी को गम समझते हैं जिन्हें कोई नही समझा उन्हें बस हम समझते हैं कशिश जिन्दा है अपनी चाहतो में जानेजां क्यूंकि हमें तुम कम समझते हो, तुम

"देश बदल रहा है लेकिन किसान आपनी बदहाली को रो रहा है,आखिर क्यों?"A Short Blog By Nitesh Rathor

देश के हालातो पर कुछ लिखने की अभिलाषा रखने वाले या तो पैसे से दबाए जाते हैं या धमकियों से! कांग्रेस के समय भी लगभग यही होता था और आज भी कुछ ऐसा ही है तो बीते 3 अरसो में क्या बदला?  किसान वही है जो पहले भी क़र्ज़ तले दबा हुआ था,आज भी है! अपने परिवार का पालन पोषण न कर पाने की स्थिति में इस देश का गरीब किसान सीधे आत्महत्या का रास्ता चुनता है! ऐसा क्या कारण है कि किसान निरन्तर खुदखुशी कर रहे हैं और न सरकारे कुछ कर पा रही हैं! अलबत्ता हालात ये है कि एक वर्ष में कितने किसान आत्महत्या करते हैं इसका सीधा आकंड़ा भी सरकार नही दे पाती! आज़ादी के बाद जय जवान जय किसान के नारे लगे तो ईस देश के गरीब मध्यवर्गीय किसान को लगा कि अब उसका भाग्य बदल जाएगा लेकिन उस समय के बात किसानो के लिए कोई भी सरकार कुछ नही कर पाई और न ही कोई ठोस कदम उठा पाई! आज 70 सालो बाद भी आज़ाद हिंदुस्तान में इस देश का गरीब और विवश किसान जब आत्महत्या/ख़ुदकुशी करता है तब न तो सत्ता के मदान्ध उसकी सुध लेते है और दूसरी और अफसरशाह तो होते ही तानाशाही के लिए हैं! तो क्या समझा जाए देश बदल रहा है या अपनी बदहाली को रो रहा है क्योंकि पि